अक्सर ऐसा देखने को मिलता है जब भी Hindi Medium का Student , High School या इंटरमीडिएट पास करके, अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए अपने माध्यम को बदलता है. तो उसे बड़ी दिक्कत होती है सबसे बड़ी दिक्कत तो यही जो करीब 16 साल से Hindi में पढ़ता रहा हो. उसे अचानक इंग्लिश किताबों के बीच में आना पड़ता है. सवाल हल करना बाद में आता है , पहले वो प्रश्न ही नहीं समझ पाता जो पूछा गया है.. तो यहाँ कोई दिमाग की बात नहीं है. ये माध्यम की बात है. वहीँ उसके साथ में पढने वाले अंग्रेजी माध्यम से पढ़कर आये Student झट से सवाल को समझ लेते हैं. उत्तर देना न देना एक अलग बात है.
एक तो बच्चा घर से नया -नया आया होता है..उसे नए माहोल , नए लोग, नयी हवाएं, नया रहन सहन, नया खाना पीना , नया उठाना बैठना. ऊपर से एक ये नयी दिक्कत हिंदी - इंग्लिश का नया माहौल . कहीं न कहीं वो अपने आपको कमतर आंकने लगता है जबकि ऐसा कतई नहीं होता . Concept उसके समझ आ रहा होता है. लेकिन वो नयी भाषा शैली में अपने को ढाल नहीं पाता. कई बार ऐसा भी देखने को मिला है . बच्चे इस डर से वो शहर छोड़ के चले जाते हैं. ऊपर से माता - पिता का दबाव कि मेरा बेटा डॉक्टर- इंजीनियर बनने गया था ये क्या हुआ. जबकि बात बहुत छोटी सी है. सिर्फ और सिर्फ माध्यम .
इस तरह हम कई अच्छे बच्चे खो देते हैं. खैर .. ये कोई बहुत बड़ी बात नहीं है .
17 साल पहले जब मैं भी इस माहौल में आया था तो मुझे भी ढलने में वक़्त लगा था. अब आज बहुत हो चुका है B. Tech. किया M. Tech. किया कम से कम मेरी नज़रों से 1000 बच्चे निकले जिन्हें मैंने पढ़ाया Engineering के बहुत सारे Subjects .
लेकिन मन के किसी कोने में ये बात रह गयी कि इस परेशानी को बड़ी आसानी से दूर किया जा सकता है. बहुत बड़ी Dictionary पढ़ने कि जरूरत नहीं सिर्फ और सिर्फ उन शब्दों को जान लिया जाए जो Technical हैं.
2015 में फिर उस उम्र के Student से टकराने का मौका मिला जिस उम्र में, मैं कभी आया था. Kartikay मेरे छोटे भाई जैसा है. और मुझे जिम्मेदारी दी गयी कि इसकी हर संभव मदद कि जाए . तो Kartikay कि सबसे पहली दिक्कत यही निकली माध्यम वाली . फिर सोचा क्यूँ न इस दिक्कत को दूर किया जाए.
तो हमने उन शब्दों कि एक Dictionary तैयार कर दी है. जो अक्सर हमें सुनने और पढ़ने को मिलते हैं.
यक़ीनन ये पूरी मेहनत कार्तिकेय की है. मैंने बस रास्ता भर दिखाया है. और ये Site तैयार की है. ताकि वो , उनके मित्र, और उन जैसे तमाम Students इस डर से बच जाएँ.
आपके सुझावों का हमें इंतज़ार रहेगा और अगर आप कोई कमी नोटिस करें तो हमें जरूर लिखें .
Techidiction
आप हमें इस मेल आई डी. पर मेल कर सकते हैं .
each.every@gmail.com
आपका
शाहिद मंसूरी और कार्तिकेय सिंह
एक तो बच्चा घर से नया -नया आया होता है..उसे नए माहोल , नए लोग, नयी हवाएं, नया रहन सहन, नया खाना पीना , नया उठाना बैठना. ऊपर से एक ये नयी दिक्कत हिंदी - इंग्लिश का नया माहौल . कहीं न कहीं वो अपने आपको कमतर आंकने लगता है जबकि ऐसा कतई नहीं होता . Concept उसके समझ आ रहा होता है. लेकिन वो नयी भाषा शैली में अपने को ढाल नहीं पाता. कई बार ऐसा भी देखने को मिला है . बच्चे इस डर से वो शहर छोड़ के चले जाते हैं. ऊपर से माता - पिता का दबाव कि मेरा बेटा डॉक्टर- इंजीनियर बनने गया था ये क्या हुआ. जबकि बात बहुत छोटी सी है. सिर्फ और सिर्फ माध्यम .
इस तरह हम कई अच्छे बच्चे खो देते हैं. खैर .. ये कोई बहुत बड़ी बात नहीं है .
17 साल पहले जब मैं भी इस माहौल में आया था तो मुझे भी ढलने में वक़्त लगा था. अब आज बहुत हो चुका है B. Tech. किया M. Tech. किया कम से कम मेरी नज़रों से 1000 बच्चे निकले जिन्हें मैंने पढ़ाया Engineering के बहुत सारे Subjects .
लेकिन मन के किसी कोने में ये बात रह गयी कि इस परेशानी को बड़ी आसानी से दूर किया जा सकता है. बहुत बड़ी Dictionary पढ़ने कि जरूरत नहीं सिर्फ और सिर्फ उन शब्दों को जान लिया जाए जो Technical हैं.
2015 में फिर उस उम्र के Student से टकराने का मौका मिला जिस उम्र में, मैं कभी आया था. Kartikay मेरे छोटे भाई जैसा है. और मुझे जिम्मेदारी दी गयी कि इसकी हर संभव मदद कि जाए . तो Kartikay कि सबसे पहली दिक्कत यही निकली माध्यम वाली . फिर सोचा क्यूँ न इस दिक्कत को दूर किया जाए.
तो हमने उन शब्दों कि एक Dictionary तैयार कर दी है. जो अक्सर हमें सुनने और पढ़ने को मिलते हैं.
यक़ीनन ये पूरी मेहनत कार्तिकेय की है. मैंने बस रास्ता भर दिखाया है. और ये Site तैयार की है. ताकि वो , उनके मित्र, और उन जैसे तमाम Students इस डर से बच जाएँ.
आपके सुझावों का हमें इंतज़ार रहेगा और अगर आप कोई कमी नोटिस करें तो हमें जरूर लिखें .
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शाहिद मंसूरी और कार्तिकेय सिंह
2 comments:
बहुत सुंदर प्रयास । ब्लौग फौलोवर बटन खुला रखें तो हम भी सदस्य बनें ताकि समय समय पर कुछ पढ़ सकें या कुछ कह सकें ।
जी जरुर , बहुत-बहुत शुक्रिया सर ....
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